इस समय की युवा पीढ़ी के साथ मेने बहुत काम किया है और अब भी कर रहा हूँ और शायद आगे भी करता रहूँगा। इस युवा पीढ़ी के बारे में कहूं तो बहुत ही जोशीले और तेज़ है. हर काम सही तरीके से और अच्छी तरीके से करने की ताक़त है उनमे। स्फूर्ति और जोश दोनों कूट कूट के भरे पड़े है. हर काम जल्दी से करना चाहते है. उनके पास समय की फुर्सत नहीं है. हर काम जल्दी से निपटाने की चाह में वो लोग आगे की सोच नहीं सकते। एक प्रॉब्लम बहुत देखा है उनमे वो है परिपक्वता की खोट है आज की युवा पीढ़ी में. कोई भी काम के पीछे फॉलो उप भी नहीं होता उनमे। इसलिये कभी कभी सफल नहीं हो पाते।
हर काम उनको बहुत जल्द ख़त्म करना है जैसे उसके बाद कोई फ्लाइट पकड़नी हो. पैसा भी बहुत जल्द कामना चाहते है, प्यार भी बहुत जल्द करना चाहते है, शादी की भी जल्दबाज़ी और बाद में एक दूसरे से उब भी बहुत जल्द जाते है इसलिये तलाक की भी जल्दी रहती है. पुराने ज़माने के माँ बाप, नाना, नानी के पास से कुछ सिखने की कोई इच्छा नहीं और सुनते भी नहीं।
बहोत कुछ युवा में सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी नज़र आती है. रिस्क लेना नहीं चाहते। बहुत युवा ऐसे भी देखे है जो चेंज को स्वीकार नहीं करते सिर्फ एक ही लय में जीना चाहते है. अगर बिना रिस्क अगर कुछ मिल जाये तो ठीक वर्ना हमें कहाँ कोई जल्दी है. मौका मिले तो गवांते हुए दिख रहे है. ऐसे युवा को देखके मुझे शर्म आती है क्यों की ज़िंदगी में बिना रिस्क के कभी किसी को कुछ नहीं मिला और हाथ में आया हुआ मौका कभी दुबारा नहीं आता. लेकिन क्या करे. “मुक्कदर का सिकंदर” फिल्म में कादरखान का डायलॉग था “कुछ लोग मिडिल क्लास ही पैदा होते है, मिडिल क्लास ही जीते है और मिडिल क्लास ही मर जाते है” शायद ये डायलॉग आज भी सही है.
ऐसी जल्दबाज़ी में अपना समय नस्ट करते है और फिर पता नहीं बुढ़ापे में हिसाब लगायेंगे या नहीं वो तो मुझे मालूम नहीं जैसे अभी के ढलती जवानी वाले मेरे जैसे लोग हिसाब लगाते है की क्या पाया और क्या खोया, ज़िंदगी में कौनसी भूल हुई और कोनसी सुधर सकती थी. ये किया होता तो आज ये दिन नहीं देखने पड़ते। ऐसे हिसाब किताब में भी एक मज़ा है. क्यों की ये सोचने के लिये कोई पैसा खर्च नहीं करना पड़ता और समय खर्च हो जाता है.
दौलत को जल्द पाने की इच्छा हमें ठग बाबाओ के पास ले गयी हमें दौलत मिली या नहीं लेकिन ठग बाबा को जरूर मील गई. खैर छोडो इन ठग बाबाओ के लिये में एक अलग पोस्ट लिखूंगा क्यों की बहुत कुछ लिखना है उनके लिए. अभी तो हम बात कर रहे थे आज की युवा पीढ़ी की.
आज की युवा पीढ़ी में जोश और होश दोने हे. काम करने की हिम्मत भी है. लेकिन वक़्त बहुत कम है. इसलिए कोई आगे की सोच नहीं। उनके पास कभी कभी अपने माँ बाप और रिश्तेदारों के लिए समय होता है लेकिन वो भी बहुत कम. बाकी उनका समय सिर्फ पाने मोबाइल, इंटरनेट और दोस्तों के लिए ही समय है. सारे काम जल्द में निपटाके वो सिर्फ अपने मोबाइल के इंटरनेट के माध्यम से भ्रमित सोशल मीडिया में ही खुश है.
एक चीज़ है उनमे जो मेने इस पोस्ट के अग्र भाग में कही है की हर काम वो लोग पुरे जोश और उत्साह में करते है. हरेक काम को अंजाम तक पहुँचाने में भी माहिर है. सिर्फ एक ही खोट है वो है उनके पास वक़्त नहीं है किसी के लिये और खुद के लिए भी और इसी वजह से आगे की सोच नहीं है.