क्या राम मंदिर एक चुनावी मुद्दा है?

ram janmabhoomiहिंदू की आस्था का प्रतिक है श्री राम. राम जन्म भूमि हरेक हिंदू का हक़ है. श्री राम जहां जन्मे थे वहां ही उनका भव्य मंदिर बने ऐसा मेरा मानना है. ये जरुर है की कुछ राजनितिक पार्टी सिर्फ चुनाव में ही ये मुद्दा उछालती है. लेकिन हिंदू को अब सब कुछ समझ में आ रहा है. सालो से सुप्रीम कोर्ट में ये राम जन्मभूमि का केस चल रहा है. पता नहीं अब तक कितनी तारीख और मुदत पड़ चुकी है.

जानबुझ कर सुप्रीम कोर्ट में ये देरी हो रही है. इसका कारण अनेक है. पहला की इंडियन नेशनल कांग्रेस नहीं चाहती की रामजन्मभूमि पर राम मंदिर बने इसलिये उसने वकीलों की फौज लगा दी है. दूसरा कारण ये है की हिंदू बहुत ही सहिष्णु है. इसका फायदा कुछ गिने चुने लोग उठा रहे है. वर्ना अब तक फैसला आ जाना चाहिये था. इधर आतंकवादीओ का केस का फैसला बहुत जल्द आ जाता है लेकिन हिंदू के भगवान का केस सालो से चल रहा है जिसमे महज सिर्फ ३ -४ सेकंड में ही दूसरी ३ महीने की तारीख मील जाती है. ये हिंदू की आस्था का मज़ाक है और हिंदू का मज़ाक नहीं तो और क्या है?

वर्तमान बीजेपी की सरकार इस केस को पिछले ४ साल से आगे नहीं जा सकी. तो सोच लो की अगर पूर्ण बहुमत की सरकार अगर इस केस पे कुछ नहीं कर सकती तो कांग्रेस सरकार तो कुछ भी नहीं कर सकेगी। ये माना की वर्तमान बीजेपी सरकार के पास राजयसभा में बहुमत नहीं है तो अध्यादेश भी लाके भी कुछ नहीं होने वाला।

अब सिर्फ हिंदू ही कुछ कर सकते है. क्यों की जैसे बाबरी मस्जिद हिंदुओ ने गिरा दी थी बीना सुप्रीम कोर्ट और बीना अध्यादेश, ऐसे ही हिंदुओ को ही अपने हक़ और आस्था के लिये लड़ना होगा और राम मंदिर पे अपना सरकार पे दबाव बढ़ाना पड़ेगा।

गीतेश त्रिवेदी का जय श्री राम

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